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Coronavirus: लोगों के दोबारा कोरोना संक्रमित होने की बात सच है या झूठ? जानें इसके बारे में सबकुछ

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Coronavirus: लोगों के दोबारा कोरोना संक्रमित होने की बात सच है या झूठ? जानें इसके बारे में सबकुछ
@HelloPratapgarh - National -

कोरोना वायरस के संबंध में कुछ दिन पहले तक यही माना जा रहा था कि अगर किसी को एक बार संक्रमण हो गया तो उसके शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है, जो उसे दोबारा संक्रमित होने से बचा सकती है। लेकिन हाल के दिनों में जिस तरह से लोगों के दोबारा संक्रमित होने के दावे किए जा रहे हैं, उससे तो वैक्सीन बना रहे वैज्ञानिकों की भी नींदें उड़ गई हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, पंजाब और तेलंगाना में दोबारा संक्रमण के मामले आने की बात की जा रही है, लेकिन इसमें कितनी सच्चाई है और अगर दोबारा संक्रमण हो रहा है तो वह कैसे हो रहा है, इसकी जांच के लिए सरकार ने एक मरीज के दोनों सैंपल (पहले संक्रमण और दूसरे संक्रमण का) को पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी को भेजा है। 

क्या करेगा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी? 

रिपोर्ट्स के मुताबिक, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी मरीज के दोनों सैंपलों की जेनेटिक सीक्वेंसिंग (आनुवंशिक अनुक्रमण) करेगा। इसी के नतीजों के आधार पर दोबारा संक्रमण के बारे में सबकुछ पता चल सकेगा। दरअसल, जेनेटिक सीक्वेंसिंग के जरिए किसी भी जिंदा व्यक्ति की जीन संरचना को देखा जाता है। 

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की जांच में इस बात का पता चल जाएगा कि मरीज के दोनों सैंपल में कोरोना वायरस की मौजूदगी है या नहीं। अगर किसी एक सैंपल में भी वायरस की मौजूदगी नहीं दिखी तो यह साफ हो जाएगा कि कोरोना का टेस्ट करने में ही कोई गलती हुई होगी, जिससे उस व्यक्ति की रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। 

अगर दोनों सैंपल में वायरस मिला तो क्या? 

संक्रमित मरीज के दोनों सैंपल में अगर वायरस की मौजूदगी दिखी तो उसकी भी जांच की जाएगी कि क्या वायरस की संरचना में कोई बदलाव हुआ है और अगर बदलाव दिखा तो यह साबित हो जाएगा कि देश में कोरोना वायरस के एक से ज्यादा रूप हैं यानी वो म्यूटेट हो रहा है। हालांकि अब तक स्वास्थ्य मंत्रालय का यही मानना है कि देश में कोरोना वायरस का एक ही रूप है, भारत में उसका म्यूटेशन नहीं हो रहा है। 

क्या मौजूदा वैक्सीन कोरोना के म्यूटेशन पर करेगी काम? 

मध्य प्रदेश में भोपाल स्थित एम्स में कोरोना वायरस के म्यूटेशन को लेकर एक शोध चल रहा है। शोध के मुताबिक, यह वायरस लगातार म्यूटेट हो रहा है यानी अपना रूप बदल रहा है, जिसकी वजह से वैक्सीन बनाने में दिक्कतें आ रही हैं।  शोधकर्ताओं का कहना है कि दुनियाभर में बनाई जा रही वैक्सीन शायद ही कोरोना वायरस पर काम कर पाए, क्योंकि यह तेजी से अपना रूप बदल रहा है। 

अब तक 83 बार म्यूटेट हो चुका है कोरोना वायरस? 

कई देशों के विशेषज्ञों द्वारा किए गए शोध के मुताबिक, जो कोरोना वायरस चीन से फैला था, उसका स्वरूप 'डी 614जी' था। उसके बाद से यह अब तक 83 बार अपना रूप बदल चुका है। भोपाल एम्स के निदेशक प्रोफेसर सरमन सिंह के मुताबिक, शोध के आधार पर यह कहना अभी मुश्किल है कि कोरोना वायरस के म्यूटेशन पर मौजूदा वैक्सीन असर करेगी या नहीं और अगर करेगी तो कितनी करेगी। 

 

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