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सूरत में सोमवार देररात फुटपाथ पर सोए कुशलगढ़-सज्जनगढ़ के 13 मजदूरों को डंपर ने कुचला

Banswara
सूरत में सोमवार देररात फुटपाथ पर सोए कुशलगढ़-सज्जनगढ़ के 13 मजदूरों को डंपर ने कुचला
@HelloPratapgarh - Banswara -

सूरत से स्लीपर बस और एंबुलेंस से रात 11 बजे पहुंचे कुशलगढ़ के 11 और सज्जनगढ़ के 2 शव, आज करेंगे अंतिम संस्कार

गुजरात के सूरत में सोमवार देररात फुटपाथ पर सोए कुशलगढ़-सज्जनगढ़ के 13 मजदूरों को डंपर ने कुचल दिया। हादसे में मरने वाले कुशलगढ़ उपखंड के सभी 13 शव मंगलवार रात 11 बजे स्लीपर बस और एंबुलेंस से लाए गए। रात को ही सभी शवों को अपने अपने घरों तक पहुंचाया गया। रात हो जाने के कारण इन सभी का अंतिम संस्कार बुधवार को किया जाएगा। भगतपुरा में जंगल और पहाड़ी इलाके में लोग रहते हैं। यहां बस, जीप आदि नहीं जा सकते हैं, इसलिए यहां के पांच शवों को ट्रैक्टर के जरिए ले जाया गया। लेकिन संकरा रास्ता हाेने से मृतकाें के घर से एक किमी पहले ही बस काे राेकना पड़ा। इसके बाद ट्रैक्टर से पांचाें शवाें काे मृतकाें के घर पहुंचाए गए। शवाें काे पाॅलीथीन के कवर से ढंककर रखा गया था।

वहीं मृतकाें के नाम के अनुसार उनका सामान भी परिजनांे काे सुपुर्द किया गया। शवाें काे परिजनाें के हवाले करने से पहले गुजरात से अाई पुलिस अाैर स्वास्थ्य कर्मी परिजनाें से दस्तखत करवाकर अाैपचारिकताएं पूरी कर रहा था।

इसी दाैरान शव घर में उतारते ही एक बार फिर भगतपुरा मंें चीखें सुनाई देने लगी। ग्रामीण इकट्ठा हाे गए। एहतियातन पुलिस दल भी माैजूद रहा। एक साथ पांच-पांच शव काे देखकर वहां माैजूद हरकिसी की अांखे नम हाे गई। इसके बाद गराडखाेरा में चार शव उतारे गए। फिर खेरदा में दाे अाैर एक अन्य एंबुलेंस से दाे शव मस्का पहुंचाए गए। रात काफी हाे जाने से शवाें का अंतिम संस्कार बुधवार सुबह किया जाएगा।

हादसे के समय मैं महज 25 फीट दूर सोया था : राजू

हादसे में मैरे बड़े भाई अाैर भाभी घायल है। उनके सिर में गंभीर चाेट अाई है। भाई अाैर भाभी फुटपाथ पर और मैं पत्नी के साथ 25 फीट दूर साेया था, इसलिए बच गया।। देररात अचानक कुछ गिरने की अावाज अाई। अांख खुलने के बाद कुछ समझ पाता, इससे पहले डंपर ने फुटपाथ पर साे रहे भाई-भाभी अाैर दूसरे मजदूराें काे कुचल दिया था। मैं भागकर फुटपाथ पर पहुंचा। भाई अाैर भाभी की तलाश की। थाेड़ी देर बाद उनकी अावाज सुनी। दाेनाें के सिर पर चाेट अाई है।
 

गुजरात में मजदूरी ज्यादा मिलती है
आम लोगों से चर्चा की तो बताया कि गुजरात में दिहाड़ी अधिक मिलती है। ग्रामीण बापूलाल मईड़ा ने बताया कि गुजरात में दिन में 400 से 500 रुपए तक मेहताना मिल जाता है। अगर परिवार के दाे-तीन लाेग एक साथ चले जाए ताे अच्छी अाय हाे जाती है। वहीं कमरा नहीं मिलने तक मजदूर फुटपाथ पर ही रात गुजार लेते है जिससे की खर्चा भी ज्यादा नहीं हाेता। बारिश हाेने के साथ ही मजदूर खेती के लिए वापस कुशलगढ़ लाैट अाते है। कुशलगढ़ में मानसून ही एक एेसा सीजन है जब लाेग गांव में रुकते है। चार महीने तक श्रमिक यहीं ठहरकर मक्का की खेती करते है। दीवाली के बाद ही श्रमिकाें का पलायन फिर शुरू हाे जाता है। यहां जिनके पास कुएं एक संपत्ति की तरह माने जाते हैं। अगर उनमें काफी महीनाें तक पानी रहता है ताे फिर ताे साेने पर सुहागा वाली बात हाेती है। ग्रामीण दीपसिंह वसुनिया बताते है कि क्षेत्र में काेई राेजगार नहीं है। सरकारें अाती रही लेकिन पानी की कमी की क्षेत्रीय समस्या अाज भी जस की तस बनी हुई है। पलायन राेकने के लिए सरकार काे लघु उघाेग की नींव रखनी चाहिए। माही का पानी यहां तक लाने या अन्य व्यवस्था ही यहां के किसानाें का उद्धार कर सकती है।

अपनापन : ग्रामीण परिजनों के लिए भाेजन लेकर पहुंचे, लकड़ियां काटने में जुट गए
अभावाें के बावजूद इन गांवाें में लाेगाें के बीच गजब का अपनापन देखने काे मिला। संकट के समय पीड़ित परिवारों केे लिए पड़ाैसी अाैर ग्रामीण परिजनाें की तरह मदद काे तैयार दिखे। यहां गराड़खाेरा में दिलीप के घर एक पड़ाैसी खाना लेकर अाता दिखाई दिया। पड़ाैसी ने बताया कि परिवार पूरा रात से शाेक में है। बच्चे भी भूखे हैं, एेसे में भाेजन कराना जरूरी है। वहीं कुछ ही दूरी पर कुछ लाेग दाह संस्कार के लिए लड़कियां काट रहे थे। ग्रामीण भी पीड़िताें के घर जाकर ढांढस बांध रहे थे।

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