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समय, सामर्थ्य, सहयोग, सामग्री और समझ रहते धर्म आराधना कर लेना चाहिए : साध्वी धैर्यनिधि 

Pratapgarh
समय, सामर्थ्य, सहयोग, सामग्री और समझ रहते धर्म आराधना कर लेना चाहिए : साध्वी धैर्यनिधि 
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प्रतापगढ़। जीवन का अर्थ है समय, जो जीवन से प्रेम करता है वह समय को बर्बाद नहीं करता है, उक्त प्रवचन परम पूज्य साध्वीवर्या धैर्यनिधि म.सा. ने गुमानजी मंदिर में जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक सकल संघ द्वारा आयोजित  कल्याणकारी चातुर्मास के उपलक्ष में प्रतिदिन चल रही धर्म सभा में अपने प्रवचनों  की नित्य श्रृंखला के तहत कहीं. साध्वी  ने अपने प्रवचनों के अंतर्गत कहा कि इंसान को समय, सामर्थ्य, सामग्री, संयोग और समझ रहते दान, धर्म और प्रभु स्मरण तथा भक्ति कर लेनी चाहिए, समय का भरोसा नहीं है. धर्मसभा में उपस्थित श्रावक श्राविकाओ से  साध्वी ने कहा कि मनुष्य को  स्मरण, मरण और परण  स्वयं ही करना पड़ता है इसके लिए कोई दूसरा व्यक्ति नहीं आता है.
 इसलिए अपने आत्मकल्याण के लिए भक्ति मार्ग से जुड़कर प्रभु की आराधना में बिना समय गवाएं लग जाना चाहिए. साध्वी ने धर्म सभा में समय की महत्वता को समझाने के लिए अनेक पौराणिक एवं नवीन वृतांतो का उदाहरण दिया. धर्म सभा में प्रतिदिन सैकड़ों श्रावक और श्राविकाएं उपस्थित होकर प्रवचनों का लाभ ले रहे हैं. 

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