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‘नेकी की दिवार’ – जिसके पास ज़्यादा हो वह देकर जाए, जिसे ज़रूरत हो वह लेकर जाए!

प्रतापगढ़
‘नेकी की दिवार’ – जिसके पास ज़्यादा हो वह देकर जाए, जिसे ज़रूरत हो वह लेकर जाए!
@HelloPratapgarh - प्रतापगढ़ -

प्रतापगढ़। आमतौर पर जिस चीज़ की हमें जरुरत नहीं होती उसे हम लोग या तो फेंक देते हैं या वह चीज़ रखे-रखे ही ख़राब हो जाती है लेकिन प्रतापगढ़ सकल जैन महिला प्रकोष्ट ने एक नई पहल की शुरुआत की है। इस पहल के माध्यम से आप अपनी अनुपयोगी वस्तुओं को जरूरतमंद तक पहुंचा सकते हैं। एक ऐसी मुहीम जिसमें नेकी की दीवार लोगों को जोड़ने का काम कर रही है और मदद करने के लिए प्रेरित कर रही है। ‘नेकी की दीवार’ कही जाने वाली इस दीवार को खूबसूरती से सजाया गया है और अब लोग यहां  आकर जरुरतमंदो के लिए सामान छोड़ सकेंगे। शहर के जीरो माइल चौराहे पर सकल जैन महिला प्रकोष्ट की और से एक अनोखी मुहीम की शुरुआत आज पूर्व पार्षद चंद्रकांता चंडालिया के हाथों फीता काट कर की गई है। जीरो माइल चौराहे पर शुरू की गई इस नेकी की दीवार पर हर जरूरतमंदों को उनके जरुरत के हिसाब से कपडे स्वेटर और कम्बल सहित जरूरत का सामन निशुल्क मिल जाएगा साथ यही यदि किसी व्यक्ति के पास कोई जरूररत का सामन है और वह उसके इस्तमाल का नहीं है तो वह इस नेकी की दीवार पर जरूरतमंदों के लिए उसे ला कर रख सकता है। इस नेकी की दीवार पर सकल जैन महिला प्रकोष्ट की और से इसकी व्यवस्था के लिए एक स्टाफ को भी यहां पर नियुक्त किया गया है। जिस से यहां रखे सामन का दुरूपयोग ना हो सके और वह जरुरतमंदों तक आसानी से पंहुच सके।

ज़रूरतमंदों को नहीं फैलाने पड़े हाथ इस लिए की गई इस पहल की शुरुआत

अगर आपके घर में पुराने पहनने, ओढ़ने, बिछाने के कपड़े, किताबें, खिलौने, बर्तन, दवाईयां, क्रॉकरी, फर्नीचर आदि जो भी है, जिसका आप प्रयोग नहीं कर रहे हैं और वह शहर के जरूरतमंदों के काम आ सकता है तो आप उक्त सामान को ‘नेकी की दीवार’ पर आकर छोड़ सकते हैं। यहां से जरूरतमंद आकर खुद इन्हें ले जाएंगे। इसमें सबसे अच्छी बात यह है कि किसी भी गरीब या ज़रूरतमंद इंसान को किसी के आगे हाथ फैलाकर शर्मिंदा नहीं होना पड़ता। इस दिवार पर आकर कोई भी बेझिझक अपनी ज़रूरत का सामान ले जा सकता है।

पहली दीवार की नगर परिषद् ने की थी शुरुआत जहां अब है अव्यवस्थाओं का आलम

इस पहल की शुरुआत पहले शहर के नगर परिषद् में सबसे पहले की गई थी लेकिन अव्यवस्थाओं के चलते वहां अब ना तो कोई जरुरतमंद आता है और ना ही जरूरतमंदों की मदद करने वाला अब वहां पर बिखरे कपडे और नेकी दीवार के नाम के आलावा कुछ नहीं है। उसी को देखते हुए सकल जैन महिला प्रकोष्ट की महिलाओं की और से इस पहल को नया रूप देकर इसकी शुरुआत की गई है और इसकी सुरक्षा और व्यवस्था के लिए स्टाफ को भी लगाया गया है। इस नेकी की दीवार से अब जरूरतमंदों को मदद आसानी से हो पाएगी।

आसान तरीके से जरूरतमंदों की हर कोई कर पाएगा मदद

सकल जैन महिला प्रकोष्ट की सदस्य दीप्ती चंडालिया का कहना है की “नेकी की दीवार का उद्देश्य है कि “जो आपके पास अधिक है, वो यहां छोड़ जाएं और जो आपकी जरूरत का है, यहां से ले जाएं”  हमनें सिर्फ इसे बनाया है लेकिन शहर के लोगों ने दूसरे की जरुरत को ध्यान में रखते हुए इसे कपड़े, बैग, चादर और रोजमर्रा की चीज़ों से सजाया है। अब शहर का हर आम नागरी अपने हिसाब से हर जरूरतमद की मदद कर सकता है। इस दीवार पर व्यवस्था के लिए लगाए गए स्टाफ को हर कोई जरुरत का सामन ला कर दे सकता है जिसे वह किसी दूकान की तरह सामन को पैक कर के डिसप्ले करेंगा जिससे व्यवस्था भी नहीँ बिगड़ेगी और जरूरतमंदों को लेने में संकोच भी नहीं होगा। और ना ही किसी का अपमान होगा।

जरूरतमंद पर्ची के माध्यम से बताएं अपनी जरुरत यहां होगी पूरी

सकल जैन महिला प्रकोष्ट की और से यहां जरूरतमंदों के लिए एक बॉक्स भी लगाया जाएगा इस में जरूरतमंद अपनी जरुरत के हिसाब से पर्ची बना कर उस बॉक्स में डाल सकता है। हर रोज इस बॉक्स को खोल कर निकलने वाली पर्चियों के आधार पर जरूरतमंदों की जरूरत को पूरा करने का महिला प्रकोष्ट की और से प्रयास किया जाएगा।

सकल महिला जैन प्रकोष्ठ की इन महिलाओं का योगदान

नेकी की दीवार की शुरुआत करने के लिए सकल जैन महिला प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष दीप्ति चंडालिया,  किरण मालू, क्षमता चिपड़, चेतना छोरियां, दीपांशी जैन, सीमा पोरवाल, हर्षा सांखला, सरोज बंडी, सविता गांधी, चंचल तरवेचा, उषा छोरियां, मनीषा छोरियां आदि कई महिलाएं इस नेकी की दीवार की शुरुआत के समय मौजूद रहे।

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