बहू के पहले पति की संतान थी, नहीं चाहती थी कि दूसरे की औलाद वारिस बने; झाड़ियां काटने के बहाने कुएं में दिया धक्का
गंगा ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि बच्चा उसके बेटे से नहीं जन्मा था। बच्चा उसकी बहू के पहले पति का था। ऐसे में वह दूसरे की औलाद को उसका वारिस नहीं बना सकती थी। इसलिए उसने बच्चे को रास्ते से हटाने का निर्णय किया। गंगा की सोच थी कि इस बच्चे के नहीं रहने पर उसकी नई बहू दूसरी संतान को जन्म देगी और उसके बेटे की औलाद ही संपत्ति की वारिस बनेगी।
यह है मामला
14 जून की रात को माया पत्नी जगदीश पाटीदार ने थाने में उसके बेटे विहान की गुमशुदगी दर्ज कराई। उसने पुलिस को बताया कि विहान उसका मोबाइल लेकर निकला था, जो रात तक नहीं लौटा। पुलिस की एक टीम ने गांव जाकर मौका मुआयना किया। बाद में थानाधिकारी अजय सिंह राव के निर्देशन में टीम ने एक बार फिर गांव और समीप स्थित सागवान के जंगलों की खाक छानी। तभी झाड़ियों के बीच कुएं में बच्चे का शव मिला। उसकी पहचान विहान के तौर पर हुई।
इस बीच पुलिस ने पोस्टमार्टम कराकर शव परिजनों को सौंपा। लेकिन हत्या के कारणों का खुलासा नहीं हुआ। यहां मोबाइल की कड़ी को ध्यान में रखकर पुलिस ने पड़ताल की तो सच पकड़ में आ गया। संदेह पर पुलिस ने गंगा से पूछताछ की तो उसने अपराध कबूल लिया।
नाता प्रथा से हुई जगदीश की माया
मामले को खंगालने से पता चला कि बच्चे की मां माया का विवाह करीब 8 साल पहले करियाणा थाना साबला निवासी जितेंद्र पुत्र डूंगरजी पाटीदार से हुआ था। करीब छह माह पहले पारिवारिक कारणों के चलते नयागांव निवासी जगदीश पाटीदार के साथ नाता प्रथा (पहले पति को बिना छोड़े दूसरे से विवाह करना) के तहत दूसरा विवाह किया था। माया के पहले पति से जन्मा एक बेटा विहान था, जो कि जगदीश और उसके साथ रहता था।
माया बोलती थी उसे नहीं चाहिए दूसरी संतान
आरोपी दादी उसके पोते की इसलिए भी दुश्मन बन गई थी कि दूसरी शादी के बाद भी उसकी बहू माया दूसरे बच्चा नहीं चाहती थी। वह अक्सर यह कहती थी कि उसके तो विहान ही बहुत है। दूसरे बच्चे की उसे जरूरत नहीं है। माया के इन्हीं शब्दों को सुनकर गंगा कुंठित रहती थी। इस बीच उसने विहान का दिल जीतने की कोशिश की। वहीं बहला फुसलाकर उसे कुएं में धक्का दे दिया।
कंटेंट : मनोज जैन