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उपचुनाव : RLP-BTP से भी पीछे रही BJP, कांग्रेस को टक्कर दी ; अगले चुनाव में बिगाड़ सकती हैं गणित

Pratapgarh
उपचुनाव : RLP-BTP से भी पीछे रही BJP, कांग्रेस को टक्कर दी ; अगले चुनाव में बिगाड़ सकती हैं गणित
@HelloPratapgarh - Pratapgarh -

वल्लभनगर और धरियावद उपचुनावों के नतीजों ने कांग्रेस और बीजेपी के सामने आगे सियासी चुनौतियों के संकेत दे दिए हैं। बागड़ से निकलकर भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) बीटीपी पूरे मेवाड़ में सक्रिय हो गई है। हनुमान बेनीवाल की पार्टी राष्ट्रीय लोकातांत्रिक पार्टी (RLP) वल्लभनगर सीट पर जीत नहीं सकी, लेकिन करीब 25 फीसदी वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहकर सबको चौंका दिया है।
दोनों उपचुनावों में बीजेपी को तीसरे और चौथे स्थान पर धकेलने में आरएलपी और बीटीपी समर्थक निर्दलीय का योगदान माना जा रहा है। वल्लभनगर में आरएलपी की वजह से बीजेपी जमानत तक नहीं बचा पाई। धरियावद में बीटीपी समर्थक निर्दलीय 28 फीसदी वोट लेने में कामयाब रहा।


उपचुनावों के नतीजों ने मेवाड़ में 2023 के विधानसभा चुनावों के भावी समीकरणों के संकेत दे दिए हैं। आम चुनावों में क्षेत्रीय पार्टियां कांग्रेस और बीजेपी दोनों के समीकरण बिगाड़ सकती हैं। हनुमान बेनीवाल की पार्टी को पहली बार वल्लभनगर से मेवाड़ में स्पेस मिला है। अगले विधानसभा चुनावों में टिकट कटने वाले कांग्रेस-बीजेपी के नेताओं को आरएलपी और बीटीपी टिकट दे सकते हैं।


आरएलपी बीजेपी की सहयोगी पार्टी रही, इसलिए नुकसान बीजेपी को
हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी बीजेपी की सहयेागी पार्टी रही है। किसान आंदोलन के मुद्दे पर आरएलपी और बीजेपी का गठंबधन टूटने के बाद बेनीवाल ने बीजेपी के सामने उम्मीदवार उतारे। काफी हद तक बीजेपी के उम्मीदवारों को इसका नुकसान उठाना पड़ा। पिछले उपचुनावों में सुजानगढ़, सहाड़ा और राजसमंद में भरी बेनीवाल ने उम्मीदवार उतारे थे। सुजानगढ और सहाड़ा में आरएलपी के उम्मीदवारों की वजह से बीजेपी का काफी नुकसान उठाना पड़ा था।

इस बार भी वही हुआ। उपुचनावों में बेनीवाल ने बीजेपी के बागी उम्मीदवारों को ही टिकट दिए हैं। वल्ल्भनगर से 25 फीसदी वोट लेकर दूसरे स्थान पर रहे उदयलाल डांगी 2018 में बीजेपी के उम्मीदवार थे। इस बार टिकट कटने पर आरएलपी से लड़े।

2018 के चुनाव में बागड़ में बीटीपी की वजह से कांग्रेस को नुकसान, आगे भी यही होने के आसार
​भारतीय ट्राइबल पार्टी बीटीपी की वजह से बांसवाड़ा-डूंगरपुर में कांग्रेस को काफी नुकसान हुआ था। अब बीटीपी बागड़ के साथ पूरे मेवाड़ की आदिवासी बहुल सीटों पर फोकस कर रही है। 2018 के विधानासभा चुनाव में बीटीपी ने कांग्रेस को बागउ में भारी नुकसान पहुंचाया था। खुद बीटीपी ने 2 सीटें जीतीं। अब बीटीपी बीजेपी को भी नुकसान पहुंचा रही है। अगले चुनाव में बीटीपी बागड़-मेवाड़ में कांग्रेस बीजेपी के समीकरण बिगाड़ेगी।

कांग्रेस-बीजेपी के बागियों को टिकट देकर समीकरण बिगाड़ेंगी क्षेत्रीय पार्टियां, क्षेत्रीय पार्टियों का गठबंधन संभव
मेवाड़ में बीटीपी के अलावा RLP भी अगले चुनाव में कुछ सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। ओवैसी की पार्टी भी मेवाड़-बागड़ में संभावनाएं तलाश रही है। क्षेत्रीय पार्टियां गठबंधन से भी मेवाड़ बागड़ में चुनाव लड़ सकती है, जिसका सीधा नुकसान दोनों पार्टियों को होगा।

छोटी क्षेत्रीय पार्टियां ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़कर अपना वोट प्रतिशत बढ़ाना चाहती हैं। इन पार्टियों का फोकस कांग्रेस और बीजेपी में टिकट कटने से नाराज नेताओं को टिकट देने पर रह सकता है। कांग्रेस को उपचुनावों में क्षेत्रीय पार्टियों से जरूर फायदा हुआ है, लेकिन 2018 के चुनावों में ये ही पार्टियां उसके नुकसान का कारण बन सकती हैं।

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