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पहली बार सायबर जालसाजों की चाल-ढाल का पूरा पोस्टमार्टम: त्योहारी खरीदारी पर सायबर ठगों की नजर

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पहली बार सायबर जालसाजों की चाल-ढाल का पूरा पोस्टमार्टम: त्योहारी खरीदारी पर सायबर ठगों की नजर
@HelloPratapgarh - Rajasthan -

दोपहर 12 से 2 बजे तक सबसे ज्यादा ठगी, रात को हनी ट्रैप

प्रदेश में साढ़े तीन माह में 10 हजार लोगों से ठगों ने 42 करोड़ कब-कैसे ठगे... 8836 केस की पूरी पड़ताल, ताकि त्योहारों पर खुशियां आप मनाएं ठग नहीं।

त्योहार के दिन हैं। इन दिनों में खुशियों का बड़ा हिस्सा खरीदारी से जुड़ा है। लेकिन खुशियां आप ही मनाएं, सायबर जालसाज नहीं। इसके लिए भास्कर कर रहा है सायबर ठगों की चाल-ढाल का पूरा पोस्टमार्टम। इस विश्लेषण को पढ़िए, घर-परिवार में सभी को पढ़ाइए ताकि सायबर ठगों के पैंतरे जान सकें। और... जब ये ठग आपके पैसों पर नजर गड़ाएं, आप मेहनत की कमाई के साथ अपनी खुशियां बचा सकें। साढ़े तीन माह की रिसर्च में सामने आया कि राज्य में लगभग 10 हजार लोगों से 42 करोड़ रुपए ठगे गए हैं। इनमें 672 लोगों से तो रात 10 से सुबह 8 बजे के बीच ठगी की। इनमें ज्यादातर वे हैं, जिन्हें लड़कियों के जरिए सोशल मीडिया के माध्यम से शिकार बनाया गया।


जयपुर कमिश्नरेट की स्थिति
जयपुर कमिश्नरेट क्षेत्र के विभिन्न थाना इलाकों में 317 लोगों से 50 हजार रुपए से ज्यादा अमाउंट की ठगी हो चुकी। कमिश्नरेट के करधनी इलाके में सबसे ज्यादा 17 लाख रुपए ठगे गए।

पुलिस के हेल्पलाइन नंबर

हेल्पलाइन नंबर 155260 सहित 100 व 112 हैं। नंबर 155260 पर चौबीसों घंटे साइबर एक्सपर्ट तैनात रहते हैं, तत्काल संबंधित डिटेल दें तो वे बैंक से संपर्क कर पैसा जाने से रोक सकते हैं।

बदमाश उलझाए रखते हैं, ताकि पैसा ट्रांसफर कर सकें

ठगने के बाद बदमाश पैसे वापस भेजने का झांसा देते हैं। पीड़ित को तब तक उलझाते हैं, जब तक कि खाते से ठगे गए पैसों को ट्रांसफर न कर लें।


ई-कॉमर्स: सुबह-शाम लुभावने प्रलोभन देते हैं

सुबह-शाम लोग सोशल मीडिया और शाॅपिंग एप पर एक्टिव रहते हैं। इस दौरान सायबर ठग लुभावने ऑफर, प्रलोभन देकर ठगी करते हैं।

समय पर पुलिस को बताने का फायदा- 4 करोड़ रुपए बचे
खास बात यह है कि 15520 हेल्पलाइन के जरिए समय पर सूचना मिलने पर पुलिस ने 4 करोड़ बचाए भी हैं। साथ ही ठगी के दौरान बार-बार नंबर सामने आने पर 125 सिम कार्ड और 194 मोबाइल के आईएमईआई नंबर ब्लॉक करवाए हैं।


वर्किंग टाइम में यूपीआई व डेबिट व क्रेडिट कार्ड को बनाते हैं जरिया

पुलिस के रिसर्च में सामने आया कि सुबह 10 से शाम 6 बजे तक ज्यादातर ठगी यूपीआई व डेबिट-क्रेडिट कार्ड से हो रही हैं। वर्किंग टाइम के दौरान ठग फोन कर खुद को बैंक या कंपनी का कर्मचारी बताते हैं। बैंक खातों में जानकारी अपडेट करने, कार्ड बनवाने या कार्ड की लिमिट बढ़ाने जैसे झांसे देकर डिटेल लेते, ठगी करते हैं।

साबयर हनीट्रैप: पूरी तरह गुप्त रखी जाती है पीड़ित की पहचान

सोशल मीडिया एप के जरिए सायबर हनीट्रैप के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं। जालसाज प्रोफाइल देखकर उसके आधार पर लोगों को चिह्नत कर उनसे दोस्ती करते हैं। फिर वीडियो कॉल करते हैं। इसके लिए लड़की का इस्तेमाल करते हैं और कॉल उठाते ही स्क्रीन शॉट लेते या रिकॉर्ड कर लेते हैं। फिर उसे वायरल करने की धमकी देकर ब्लैकमेल करते हैं। पुलिस का कहना है कि पीड़ितों की पहचान गुप्त रखी जाती है। उन्हें हिचकने के बजाए तत्काल शिकायत करनी चाहिए।

संभलकर रहें, फांस लिए जाएं तो पुलिस को बताएं ताकि और ज्यादा न उलझें: एक्सपर्ट

  • सायबर हनीट्रैप: फेसबुक पर अपनी प्रोफाइल लॉक रखें। इंस्टाग्राम प्रोफाइल प्राइवेट रखें। किसी भी एप पर आने वाले अनजान वीडियो कॉल रिसिव नहीं करें।
  • सोशल मीडिया पर अनजान लोगों से दूरी रखें। हनी ट्रेप में फंस गए हों तो तुरंत पुलिस को सूचना दें। अन्यथा बड़ा नुकसान हो सकता है।
  • सभी प्रकार के सोशल मीडिया अकाउंट पर सीमित जानकारी ही अपलोड रखें। सब जगह टू-फैक्टर सिक्योरिटी ऑन रखें।
  • जरूरत नहीं हो तो यूएसबी डेबूगिंग ऑप्शन, जीपीएस व ब्लूटूथ ऑफ रखें।
  • पब्लिक ऑपन वाईफाई का इस्तेमाल करने से बचें।
  • टोरेंट से क्रैक सॉफ्टवेयर और गेम्स डाउनलोड और इस्तेमाल नहीं करें।
  • एडवांस यूजर्स सिस्टम में निगरानी के लिए ग्लासवायर फायरवॉल प्रोग्राम का इस्तेमाल करें।

(सायबर एक्सपर्ट निलेश पुराेहित के अनुसार)

कमिश्नरेट में सायबर फॉरेंसिक लैब शुरू कर दी है। यहां 24 घंटे सायबर एक्सपर्ट रहते हैं। लोगों की पहचान गुप्त रखी जाती है, डरने की जरूरत नहीं, पीड़ित लोग तुरंत पुलिस को बताएं। समय पर सूचना देकर लोग खुद भी बच सकत हैं, दूसरों को भी बचा सकते हैं। -अजयपाल लांबा, एडिशनल कमिश्नर

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