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नाबालिग से दुष्कर्म पर 20 वर्ष कारावास, जज बोले पिता तुल्य आरोपी का कृत्य पैशाचिक, ऐसे में सजा में नरमी नहीं

Pratapgarh
नाबालिग से दुष्कर्म पर 20 वर्ष कारावास, जज बोले पिता तुल्य आरोपी का कृत्य पैशाचिक, ऐसे में सजा में नरमी नहीं
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प्रतापगढ़। विशिष्ट न्यायाधीश पॉक्सो न्यायालय डॉ. प्रभात अग्रवाल ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में छोटीसादड़ी क्षेत्र में नाबालिग से दुष्कर्म करने के आरोपी पड़ोसी युवक को 20 वर्ष का कठोर कारावास और 20 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है। प्रकरण के अनुसार पीड़िता ने अपने भाई के साथ थाने में इस आशय की रिपोर्ट दर्ज करवाई। इसमें बताया कि 30 सितंबर 2019 को दोपहर करीब 12 बजे उसके भाई-भाभी बिजली बिल जमा कराने गए थे। घर पर वह और उसका भतीजा अकेले थे।
वह बाहर लहसुन छील रही थी। कुछ देर बाद पड़ोसी 35 वर्षीय दलपतसिंह पुत्र मोड़सिंह राजपूत घर पर आया और उसे हाथ की मालिश करने को कहा। दलपतसिंह ने उसे घर के अंदर बुलाया और मकान का दरवाजा बंद कर दिया। इसके बाद उसने दुष्कर्म किया। आरोपी की गिरफ्तारी और अनुसंधान के बाद चार्जशीट न्यायालय में पेश की गई। अभियोजन की ओर से विशिष्ट लोक अभियोजक गोपाल लाल टांक ने 17 गवाह पेश करते हुए 25 फर्दें प्रदर्शित करवाई।
भास्कर इनसाइड : कोर्ट की टिप्पणी-परिवारों में राखी का व्यवहार, पिता तुल्य मानती थी पीड़िता, फिर भी पैशाचिक कृत्य: विशिष्ट न्यायाधीश डॉ. प्रभात अग्रवाल ने अपने फैसले में लिखा कि पीड़िता और आरोपी के परिवारों में बरसों पुराना राखी का व्यवहार था। नाबालिग पीड़िता खुद से दुगुनी से ज्यादा उम्र के शादीशुदा आरोपी को पिता तुल्य भी मानती थी।
उन्होंने तल्ख टिप्पणी करते हुए लिखा कि इन सबके बावजूद आरोपी ने ऐसा पैशाचिक कृत्य किया। ऐसे में उसका कृत्य माफ करने योग्य नहीं है। पड़ोसी संकट के समय एक-दूसरे की मदद करते हैं, लेकिन आरोपी ने इसके बारे में जरा भी नहीं सोचा। इसलिए आरोपी सजा को लेकर नरमी का हकदार नहीं है। उसे कड़ी सजा मिलेगी तो अपराधी अपराध करने से डरेगा।

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